हम भारत की बेटियाँ हैं , इसका मान बढ़ाएँगे।
देश की रक्षा के निमित हम,हँसकर प्राण गवाँएगें।
कोई भारत माँ पर अपनी,बुरी नजर अब डालेगा।
इसकी धरती पर कब्जे की मन में सपने पालेगा।
हम संहार के लिए खड्ग ले रणचण्डी बन जायेंगे।
देश की रक्षा के निमित्त...........।
हम सती के पुण्य धरोहर, माता दुर्गा की अवतार।
हम मैदां में डटकर रहती,लेकर हाथ खड्ग-तलवार।
हम काली कपालिनी बनकर रिपुदल को मार भगाएंगे।
देश की रक्षा के निमित्त....................।
अब किसी की गुलामी, हमको है स्वीकार नहीं।
मेरी पावन धरती पर,किसी का हो अधिकार नहीं।
अपनी जौहर की ज्वाला में दुश्मन को जलाएँगे।
देश की रक्षा के निमित .................।
हम भारत की नूतन आशा,मन में रखती हूं उल्लास।
कर्मपथ पर बढ़ती जाती, लेकर मन में दृढ़ विश्वास।
हम देश के पावन पन्ने पर नव इतिहास रचाएंगे।
देश की रक्षा के निमित्त...................।
सीमा की रक्षा की खातिर,हम प्रहरी बन जाएगें।
अपने घर के वीरों को भी,अपने साथ लगाएँगे।
हम चुड़ावत की हाड़ा बन,मुण्डमाल बन जाएँगे।
देश की रक्षा के निमित................।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
सार्थक संकल्प
ReplyDelete