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आज से १२८ वर्ष पूर्व १८९३ ई० में स्वामी विवेकानंद जी विश्व धर्म सम्मेलन में अपने देश भारत के हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व करने अमेरिका के शिकागो नामक शहर में पहुंचे तो जानबूझ कर उन्हें अपने धर्म के बारे में बोलने के लिए सबसे अंत में अवसर दिया गया।
इस बात की परवाह नहीं करते हुए उन्होंने अपने भाषण के प्रारंभ में वहां की जनता को संबोधित करते हुए कहा -मेरे प्यारे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों!
इस बात पर सभागार मिनटों तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजती रही। उनके द्वारा दिया गया यह भाषण पूरी दुनिया में ऐतिहासिक भाषण बन गया।भाषण के बाद अन्य धार्मिक गुरुओं ने हिन्दू धर्म को नीचा दिखाते हुए विवेकानंद जी से अनेक प्रश्न करने लगे।
उन्होंने पूछा - आपको अपनी संस्कृति और भाषा के बारे में क्या कहना है ?
विवेकानंद ने तपाक से जवाब दिया - मुझे क्या कहना ? सभी जानते हैं हमारी संस्कृति सभी संस्कृतियों का मस्तक है और हमारी भाषा संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है।
तो लोगों ने वहां एक के ऊपर एक रखी विश्व के सभी धार्मिक ग्रंथों (जिसे उन्होंने ही इस प्रकार से रखा था) को इंगित करते हुए कहा- तो आपके द्वारा लाया गया यह धार्मिक ग्रंथ 'गीता' सभी ग्रंथों के नीचे क्यों रखा है।
विवेकानंद जी ने उत्तर देते हुए कहा - क्योंकि हमारा धार्मिक ग्रंथ 'गीता' सभी धार्मिक ग्रंथों की नींव है।
उस धार्मिक गुरु ने स्वामी विवेकानंद जी का अपने देश की संस्कृति साहित्य ,भाषा एवं धर्म के प्रति निष्ठा और समर्पण देख सम्मान से सिर झुका लिया।🙏
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
बहुत सुन्दर सराहनीय
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद
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