शब्द सीढ़ी
स्वच्छता
पर्व
माटी
कुम्हार
दीप
स्वच्छता का अभियान चलाएं,
साफ करें हम घर आंगन।
साफ करें हम प्यारी धरती,
साफ करें हम अंतर्मन।
आया पावन पर्व दीवाली,
खुशियां लेकर जीवन में।
दिल में प्यार के फुटे पटाखे,
उमंग भरा है तन-मन में ।
मिल्लत की माटी को गुंथकर,
बना खिलौने प्रीत के।
भेद-भाव को बिसरा कर हम,
जश्न मनाएं जीत के।
व्यवहार-कुशल कुम्हार बने हम,
कर्म पथ पर बढ़ते जाएं।
निर्मल मन की चाक घुमाकर,
प्रेम- पात्र गढ़ते जाएं।
समता का हम दीप बनाकर,
रोशनी घर-घर फैलाएं।
माया के तेल,ममता की बाती से,
जग प्रकाशित कर जाएं।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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