याद है भैया ? पिछली बार ,
कितनी तेज हुई थी बरसात।
हम दोनों भाई विद्यालय से,
लौट रहे थे सोनु के साथ।
सड़कों पर नदियों जैसी,
बह रही थी पानी की धार।
हम-तुम दोनों मस्ती करते,
कर रहे थे उसको पार।
मैंने पहन लिया बरसाती,
तुम दोनों सिर पर छतरी तान।
छप्प छप्पक पानी में चलते,
मन में रखकर बड़ा गुमान।
क्या दिन थे बारिश में भी,
हम सब विद्यालय जाते थे।
पढ़-लिख कर भींगते-भींगते,
हम रोज घर को आते थे।
आज तो बस सपने जैसा,
लगता है विद्यालय जाना ।
घर में रहकर खेलना-कूदना,
उछल,उछल उद्धम मचाना।
ऑन लाइन टास्क बनाना,
और घर में ही पढ़ना है।
बारिश की वह मस्ती बंद है,
लॉक डाउन में रहना है।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
वाह दीदी बहुत सुंदर बाल-गीत।
ReplyDeleteबच्चों के मनोभावों के अनुरूप लिखना चुनौतीपूर्ण है।
आपकी सहज सरल लयात्मकता रचना बहुत अच्छी लगी।
सादर।
बहुत-बहुत धन्यबाद श्वेता! रचना के भावों को समझने और उस पर सटीक प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए।
Deleteबड़े अच्छे दिन थे वो
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
सादर धन्यबाद भाई।नमन
Delete