गर्मी का मौसम, छुट्टी का दिन ।
आओ नाचे तक धिना धिन धिन।
स्कूल न जाना, मस्ती है करना।
होमवर्क बनाना,घर में है पढ़ना।
ठंढी हवा में जाकर टहलते।
नदी किनारे में खूब उछलते।
तरबूज खीरा और ककड़ी खाते।
दही -छाछ -लस्सी, शरबत पीते।
शाम को करते हैं बागबानी।
सुबह हम सींचते फूलों में पानी।
बगीचे में फैलाकर हम हरियाली ।
झूला झूलते हैं लगाकर डाली।
मस्ती और छुट्टी का है संयोग।
छुट्टी का करना है हमें सदुपयोग।
पर्यावरण स्वचछ बनाएँगे हम।
मस्ती से छुट्टी बिताएगें हम।
नाचे ताक धिना- धिन - धिन।
आहा - हा गिन -गिन कर -दिन ।
सुजाता प्रिय
वाह्ह्ह्ह भाभी बहुत सुंदर बाल कविता..👌
ReplyDeleteबाल साहित्य सृजन सच में सराहनीय है।
धन्यबाद स्वेता।तुमसे बात कर बहुत अच्छा लगा।
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