जल्दी- जल्दी चल मेरे भैया,
मैं भी हूँ तेरे पीछे।
आगे- आगे बढ़ मेरे भैया,
मैं भी हूँ तेरे पीछे।
कदम बढ़ाकर अब जल्दी - जल्दी
मंजिल अपनी दूर बहुत।
रामपुर है दूर बहुत तो,
लखनपुर भी दूर बहुत।
तेज चाल से चल मेरे भैया,
मैं भी हूँ तेरे पीछे।
राह पकड़ तू चुनकर भैया,
मंजिल तक जो पहुचाए।
तेरे ही पदचिह्नो पर चल,
मंजिल मेरी मिल जाए।
धीमी चाल मत चल मेरे भैया,
मैं भी हूँ तेरे पीछे।
रुक ना जाना बीच डगर पर,
कर ना कभी न मनमानी।
बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ,
मत कर तू आना- कानी।
अगर- मगर मत कर मेरे भैया,
मैं भी हूँ तेरे पीछे।
ऊपर चोटी पर चढ़ने को,
एक बना अच्छी सीढ़ी।
अच्छाई पर चलना सीखे,
मानव की अगली पीढ़ी।
बुरी राह से टल मेरे भैया,
मैं भी हूँ तेरे पीछे।
सुजाता प्रिय
आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 20 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी दीदीजी बहुत ही आभारी हूँ। हार्दिक अभिनन्दन।
ReplyDeleteजी दीदीजी बहुत ही आभारी हूँ। हार्दिक अभिनन्दन।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सरस रचना शुभ भाव ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।सादर।
Deleteवाह!
ReplyDeleteजी आभारी हूँ।
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