माहिया छंद
भगवान भला करना
मेरे संकट को
तुम आकर अब हरना।
तेरे दर आए हैं।
चाहत मन में हम
कुछ लेकर आए हैं।
दुनिया दीवानी है।
कुछ वर पाने की
मन अपने ठानी है।
तुम जग अधिकारी हो।
झोली भर मेरी,
तुम दानी भारी हो।
सब हाल सुनो मेरी।
मेरे दुःख हर लो
तुम करो नहीं देरी।
स्वीकार करो विनती।
भक्तों में अपने
मेरी तुम कर गिनती।
नित टेकूं सिर अपना।
पूरण कर दें तू
है मेरा जो सपना।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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