Tuesday, January 28, 2025

चोट )लघुकथा/

चोट (लघुकथा) 

पत्नी की तीखी बोली से संजीव का मन बड़ा आहत था। इतनी बेरूखी से सबके सामने डांँटेगी । यह तो कभी उसने सोचा.......... 
क्या हो गया उसे ?
 इतना भी नहीं सोंचा ऐसे अपमान भरे लहजे से मेरे दिल पर....... 
यदि मैं सबके सामने उसे ऐसे ही...............? 
करते तो हो........        हमेशा... .....
हर जगह.........हर समय 
बडो़ं के सामने...... 
छोटों के............सहेलियों .......
पडोसियों........परिवारों ......
सहकर्मियों ..........नौकरों..... 
उसने एक बार.......... 
अपमान से दिल लहू-लुहान........ 
लेकिन वह हमेशा अपमान का घूट पीती है ।तो........... ?
तेरे जैसा उसका दिल..........? नहीं- नहीं! मुझे भी........। उसके सम्मान का...............। 

  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, January 20, 2025

नृत्य गीत

नृत्य गीत

मोर नाचे, मोर नाचे, मोर नाचे।2
सर र सर र सर सर सर। 2
झूम-झूमकर, झूम-झूमकर, झूम-झूमकर। 
मोर नाचे............. 
भारत की भूमि पर मोर नाचे। 
हिमालय की चोटी पर मोर नाचे। 
मोर नाचे........... 
ता ता थै थै, ता ता थै थै
ताक धिन धिना धिना 
ता ता थै थै ता 
गंगा की तट पर मोर नाचे। 
शांति निकेतन पर मोर नाचे। 
धिनकिट-धिनकिट धा
धा धा धिनकि धा
धा धा ,धा धा, धा
आम की डाली पर मोर नाचे । 
कमल के फूल पर मोर नाचे। 
ता ता तैयम तै तै ता आम। 
ता ता, ता ता, ता ता,ता
ताक तुन, धुन धुन धा। 
शिशु मंदिर पर मोर नाचे। 
माँ सरस्वती की वीणा पर मोर नाचे। 
धा धिन, धिन धिन धा 
धिन धिन, धिन धिन धा
तत् तत् थुन थुन दिग्दा दिग् दिग् तै
दिग्दा  दिग् दिग् तै
दिग्दा दिग् दिग् तै 2

 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, January 18, 2025

सात रंग है घोला

सात रंग है घोला 

सात रंग की ओढ़ चुनरिया, 
सात रंग का चोला। 
भारत को रंगीन बनाने, 
सात रंग है घोला। 
हाँ जी हाँ हमने घोला, 
मिलकर घोला, सात रंग है घोला। 
रंग बैंगनी💜 कहता है
सारे प्राणी एक समान। 
आसमानी रंग कहता है
स्वतंत्रता अपना है अभिमान। 
भेदभाव मिटा देता है, 
मिलकर रंग यह नीला 🔵। 
भारत को रंगीन.............. 
हरा 💚 हरियाली फैलाता है, 
केसरिया बल बन जाये। 
लाल🔴 रंग है भारत माँ का
जग में मान बढ़ा जाए। 
सुख-समृद्धि को सदा बढाए, 
अपना रंग यह पीला💛। 
भारत को रंगीन........... 
सात रंग की............ 
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Thursday, January 16, 2025

रघुपति राघव राजा राम

रघुपति राघव राजा राम। 
पतित पावन सीता-राम। 
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम। 
सबको सुम्मति दो भगवान्। 

गाँधी के हम तीन बंदर। 
छल-कपट नहीं मन अंदर। 
रघुपति........... 
मुंह बंद हम अपना रखते।
बुरी बात हम कभी न कहते। 
रघुपति............ 
कान बंद रखते हम भाई। 
कभी न सुनते कोई बुराई। 
रघुपति.............. 
आँखें बंद हम रखते हैं। 
बुरा कभी नहीं देखते हैं
रघुपति............... 
     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, January 11, 2025

छोटा मुँह बड़ी बात

छोटा मुँह बड़ी बात

भाई मानो तुम मेरी बात। 
 मत कर छोटा मुंँह से बड़ी बात। 
मत कर छोटा मुँह............
नहीं बडो़ से कभी मुंँह लगाना। 
नहीं उनके आगे गाल बजाना। 
बुरा मत बोलो कभी अठात। 
मत कर छोटा मुंँह........ 
बड़े लोगों का मत करो निरादर। 
मधुर बोली बोलो तुम सादर। 
झूठ न दो किसी को मात।
मत कर छोटा मुँह........
तीखी बोली कभी न बोलो। 
बोलने से पहले मन में तोलो।
दुखी न हो उनका ज्जबात । 
मत कर छोटा मुंँह..............
सुजाता प्रिय समृद्धि'

Tuesday, January 7, 2025

भगवान भला करना (माहिया छंद)

माहिया छंद 

भगवान भला करना 
मेरे संकट को
तुम आकर अब हरना।

तेरे दर आए हैं।
चाहत मन में हम
कुछ लेकर आए हैं।

दुनिया दीवानी है।
कुछ वर पाने की
मन अपने ठानी है।

तुम जग अधिकारी हो।
झोली भर मेरी,
तुम दानी भारी हो।

सब हाल सुनो मेरी।
मेरे दुःख हर लो
तुम करो नहीं देरी।

स्वीकार करो विनती।
भक्तों में अपने 
मेरी तुम कर गिनती।

नित टेकूं सिर अपना।
 पूरण कर दें तू
है मेरा जो सपना।


सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

गणेश वंदना

गणेश वंदना (हरि गीतिका छंद)

हे गजानन, चढ़ मूषक वाहन, गृह आप मेरे पधारिए।
प्रारंभ किया जो काज मैंने,आप उसको संवारिये।।
आये यदि कोई विघ्न तो,प्रभु आप उसको टालिए।
कोई बिगड़े बात तब,प्रभु आप उसको संभालिए।।

आपके चरणों में प्राणि,जब झुकाता माथ है।
आशीष हेतु आपका,उठता सदा ही हाथ है।
आप ही शुभ काज करते,आप दीनानाथ हैं।
जिनका न कोई साथ देता,आप उनके साथ है।

आपके पग को पकड़ हम,विनती करते आज हैं।
हम जो मुख से बोलते ,यह हृदय की आवाज है।।
अब आपके ही हाथ में ,भगवन् हमारी लाज है।
आपसे न है हमारा,छुपा हुआ कोई राज है।
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, January 3, 2025

गांधी जी के तीन बंदर

रघुपति राघव राजा राम। 
पतित पावन सीता-राम। 
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम। 
सबको सुम्मति दो भगवान्। 

गाँधी के हम तीन बंदर। 
छल-कपट नहीं मन अंदर। 
रघुपति........... 
मुंह बंद हम अपना रखते।
बुरी बात हम कभी न कहते। 
रघुपति............ 
कान बंद रखते हम भाई। 
कभी न सुनते कोई बुराई। 
रघुपति.............. 
आँखें बंद हम रखते हैं। 
बुरा कभी नहीं देखते हैं
रघुपति............... 
     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Thursday, January 2, 2025

नववर्ष

नववर्ष (सवैया छंद)

आगत का सब स्वागत ले कर,
         आज सभी खुश होकर भाई।
मान अभी अपने मन में सब,
           बीत गया अब ले अंगड़ाई।।
वर्ष नवीन अभी फिर सुंदर,
           वर्ष यही अब हो सुखदायी।
ईश मना सब शीश झुकाकर,
           मांँग सभी मन से वर भाई।।

मास बिता कर जो तुम बारह,
             आगत वर्ष रखें पग प्यारे।
कर्म करो सब नेक तभी यह,
               वर्ष हमार रहे सब न्यारे।।
नेक किये जब काम सभी तब,
              साथ रहे सुर पांँव पसारे।
कर्म सभी चित में रखते तब,
           ही खुश हैं भगवान हमारे।।

आ अब भूल गिले-शिकवे हम,
          आपस में निज हाथ मिला लें।
जो जन रूठ गये उनको भी,
         पास बुलाकर आस दिला लें।।
आज नया दिन है यह सुंदर,
              प्यार भरा मधुमास मना लें।
हैं नव - रुप सजा यह सुंदर,
               आ सबको हम पास बुला लें।।

                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'