मैं प्यारी भाषा हिन्दी हूँ (कविता)
(चोपाई छंद आधारित मुक्तक)
मैं प्यारी भाषा हिन्दी हूँ।
भारत माता की बिंदी हूँ।
विदेशी भाषा को भगाने-
मैं आज हिन्द में जिंदी हूँ।
मुझसे प्रेरित भाषा सारी।
मैं सभी भाषियों को प्यारी।
छंदो- कविताओं में रचकर-
हो जाती हूँ मैं तो न्यारी।।
मेरे शब्दों में आकर्षण।
है अर्थ भरा मेरा चितवन।
सुंदर - प्यारे मधु भावों से -
है भरा हुआ मेरा कण-कण।
मैं सब लोगों को भाती हूँ।
मैं शीघ्र समझ में आती हूँ।
जो मुझे प्यार से अपनाता-
मैं उसकी ही हो जाती हूँ।
जो मुझको तुम अपनाओगे।
सुख बहुत सदा ही पाओगे।
हिन्दी भाषा - भाषी बनकर-
तुम देशभक्त कहलाओगे।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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