दोहे (शब्द आधारित)
गर्मी,धूप,लू, पसीना, पानी, घड़ा पंखा
गर्मी -
भीषण गर्मी पड़ रही, व्याकुल हैं सब जीव।
गर्मी से राहत मिले, ढूंढ रहे तरकीब।।
धूप-
हवा चलती गरम बड़ी,धूप उगलती आग।
अति तपन से भूल गयी, कोकिल अपना राग।।
लू-
लू चलती है सन-सनन,जला रही है अंग।
ग्रीष्म ऋतु ने अपना, खूब दिखाया रंग।।
पसीना-
पसीना है टपक रहा, पोंछ रहे हैं लोग।
गर्मी से है बढ़ रहे,कई तरह के रोग।।
पानी-
पानी लगता आज है, सबको सुधा- समान।
पानी जीव के तन में,फूंक रहा है जान।
घड़ा-
घर-घर देखो शोभता, घड़ा-सुराही लाल।
सब जन ठंडा कर रहे, इसमें पानी डाल।।
पंखा-
कमरे में कूलर चले, फिर भी पंखा हाथ।
गर्मी लगती तेज है,चकराता है माथ।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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