स्वास्थ्य (सवैया)
ध्यान धरो निज सेहत का सब,
ठंड बड़ी पड़ती अब भाई।
ओढ़ सदा दिन शालु लगा तन,
रात हुई तब ओढ़ रजाई।
देह रखो अपना गरमाकर,
ठंडक से न करो अगुवाई।
ताप जरा तन को लगने दें,
धूप दिखे जब आँगन आई।
जो तन आप रखो अति पावन,
रोग भला उसमें कब आता।
धूप उगे जब ठंडक में तब,
तेल लगाकर रोज नहाता।
ठंडक से तब दूर रहें वह
गूड़ व अदरक जो जन खाता।
दूध पिये घृत डाल मिलाकर,
कास घटाबत हो सुखदाता।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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