Friday, December 29, 2023

यादें (रूप घनाक्षरी)



यादें (रूप घनाक्षरी)

जो पल बीत जाता है।
  सदा ही याद आता है।
     हंसाता औ रुलाता है।
       पल जाता है खास हो ।

कोई प्यार हो दिल में,
    परिवार  हो  दिल में,
      तकरार हो  दिल  में,
       तो याद का आभास हो।

किसी की याद आती है।
    दिल को भी रुलाती है।
        मन को भी सताती है।
            मन जाता उदास हो।

कभी हम अकेले में,
     खड़े बाजार-मेले में,
        खाते समोसे ठेले में,
          लगता कोई पास हो।
    
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Thursday, December 28, 2023

ईश वंदना (सोरठा)

ईश वंदना (सोरठा)

करूं नमन जगदीश, मैं चरण में शीश नवा।
मुझको दें आशीष, दुर्बलता मेरी  हटा।

दें दो अपना प्यार, सदाचार करना सिखा।
कभी न मानूं हार,अच्छी राह मुझे दिखा।

हो मुझसे जो भूल,माफ कर देना ईश्वर।
कभी नहीं हो चूक, दया सदा करो मुझपर।।

बढ़ा सद्बुद्धि नाथ, हम भला सब काम करें।
कोई रहे अनाथ,सारा दुःख उसका हरें।।
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

आपसे मिलना मिलाना रह गया (गज़ल)

आपसे मिलना मिलाना रह गया 

आपसे मिलना मिलाना रह गया,
साल में भी पास आना रह गया।।

याद आती बचपना के दिन सभी,
बाल मन अपना पुराना रह गया।।

आपसे मिलने की अब फुर्सत नहीं।
आपसे  करना  बहाना  रह गया।

दूरियांँ  हैं  जानते  हैं हम सभी,
दूर हूँ यह भी बताना रह गया।।

दूरियों  को  दूर  करना  भूल है,
भूल  कोई आजमाना रह गया।

आप  आए पास मेरे थे कभी,
साथ में कुछ पल बिताना रह गया।।

सब ठगे - से देखते ही रह गये,
आपका घर छोड़ जाना रह गया।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, December 26, 2023

नन्हे तरु की विनती (विजात छंद)

नन्हे तरु की विनती 
(विजात छंद)

लगा है द्वार में ताला।
लगा है जंग भी काला।

सुनाता हूंँ कहानी मैं।
बता बातें पुरानी मैं।

कभी उद्यान था अंदर।
बड़ा अच्छा यहांँ मंजर।

सभी घुमने यहाँ आते।
घड़ी भर बैठ सुस्ताते।

सुहानी भोर जब होती।
चमकती ओस की मोती।

महकती फूल की क्यारी।
तितलियांँ रंग की प्यारी।

किशोरी झूलती झूले।
मनाती आसमां छू लें।

समय लड़के बिताते थे
यहाँ उद्धम मचाते थे।

मनुज ने पेड़ को काटा।
धरा मरुभूमि में पाटा।

उड़ा मैं बीज तरुवर का।
छुपाया अंश तरुवर का।

जनम लेकर उदर ताले।
ललक जीने हृदय पाले।

मनुज मुझको बचा ले तू।
मुझे अपना बना ले तू।

सदा ही काम आऊंगा।
खुशी तेरी मनाउँगा।

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, December 25, 2023

नेह-स्पंदित (गज़ल)

नेह स्पंदन (गज़ल)

तुम न मानो पर तुम्हीं से प्यार है।
तुम पे ही जीवन मेरा न्योछार है।

तुम हमारे दिल में बसते हो सदा,
तेरे दिल में ही ,मेरा घर - बार है।

जब भी तुम संग में मेरे रहते प्रिय,
मुझको तो यह, रंगीं लगे संसार है।

तुम हो जब नजरें उठाकर देखते,
लगता जहां का, मिल गया प्यार है।

दिल में होता नेह-स्पंदित सदा,
मन में होता, प्रेम का संचार है।

तुम रहो तो बात सब प्यारा लगे,
तुम से ही यह शोभता श्रृंगार है।

हम जहां में साथ ही जीते रहें,
साथ ही मरना हमें स्वीकार है।
        सुजाता प्रिय'समृद्धि'नेह स्पंदन (गज़ल)

तुम न मानो पर तुम्हीं से प्यार है।
तुम पे ही जीवन मेरा न्योछार है।

तुम हमारे दिल में बसते हो सदा,
तेरे दिल में ही ,मेरा घर - बार है।

जब भी तुम संग में मेरे रहते प्रिय,
मुझको तो यह, रंगीं लगे संसार है।

तुम हो जब नजरें उठाकर देखते,
लगता जहां का, मिल गया प्यार है।

दिल में होता नेह-स्पंदित सदा,
मन में होता, प्रेम का संचार है।

तुम रहो तो बात सब प्यारा लगे,
तुम से ही यह शोभता श्रृंगार है।

हम जहां में साथ ही जीते रहें,
साथ ही मरना हमें स्वीकार है।
        सुजाता प्रिय'समृद्धि'

Saturday, December 23, 2023

गीता जयंती (दोहा)

गीता  जयंती (दोहा)

गीता पढ़कर पाइए, श्रीकृष्ण का ज्ञान।
सबपर कृपा है जिनका,प्रभु हैं कृपा-निधान।।

गीता में है उल्लिखित,अंत काल उपदेश।
जीवन में अपनाइए, भगवन का संदेश।।

गीता सुनकर अंत में, मुक्ति पाते वृद्ध।
अंत काल में आत्मा,सुन लो होता शुद्ध।

           सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

वैदिक गणित (मन हरण घनाक्षरी)

वैदिक गणित

वैदिक गणित ज्ञान,
गणना होता आसान,
वैदिक गणित सीखें,
बच्चों को सिखाइए।

सोलह इसके सूत्र,
तेरह हैं उप-सूत्र,
गणित होगा सरल,
सूत्रों को अपनाइए ।

गणितीय संक्रियाएं,
पद्धतियाँ अपनाएं,
सरल रूप में सदा,
गणित को बनाइए।

समय बचता सदा,
तनाव घटता सदा,
छोटी-छोटी विधियों को,
आप समझाइए।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, December 12, 2023

स्वास्थ्य (सवैया)

स्वास्थ्य (सवैया)

ध्यान धरो निज सेहत का सब,
           ठंड बड़ी पड़ती अब भाई।
ओढ़ सदा दिन शालु लगा तन,
              रात हुई तब ओढ़ रजाई।
देह रखो अपना गरमाकर,
             ठंडक से न करो अगुवाई।
ताप जरा तन को लगने दें,
           धूप दिखे जब आँगन आई।

जो तन आप रखो अति पावन,
         रोग भला उसमें कब आता।
धूप उगे जब ठंडक में तब,
             तेल लगाकर रोज नहाता।
ठंडक से तब दूर रहें वह
       गूड़ व अदरक जो जन खाता।
दूध पिये घृत डाल मिलाकर,
          कास घटाबत हो सुखदाता।

              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, December 9, 2023

राम-राज्य की कामना

राम-राज्य की कामना

अगर कहीं मिल जाएँ राम,तो मैं ऐसा वर माँगू।
परस्पर प्रेम जहाँ होता था, उनके घर-सा घर माँगू।

चौदह वर्ष वनवास मिले,तब भी मन विचलित न हो।
पिता की आज्ञा पालन करें, कभी मन चिंतित न हो।

विमाता की निर्णय को भी ,रखूँ अपने सिर-आंँखों।
रख चरण-रज शीष सदा,सह लूँ कष्ट वन में लाखों।

सदा साथ हो लक्ष्मण भाई,संकट आँधी तूफान में।
जीवन-साथी सीता संग हो,वन के खुले आसमान में।

भरत रक्षा करे राज्य का, शत्रुघ्न भातृत्व भावों का।
फूट नहीं हो भाई -भाई में, दूरी हो सभी दुर्भावों का।

        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'