पंचम रूप स्कंदमाता (मतगयंद सवैया)
२११ २११ २११ २११ २११ २११ २११ २२
आज लगे धरती यह सुंदर होबत है जग में जगराता।
पंचम रूप धरी जननी जग में कहते इनको जगमाता।
मात रची तुम सृष्टि सजाकर जीव सभी जनको यह भाता।
नाम जपे जग में सब लोग यहां कहते इनको जय माता।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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