गणेश वंदना ( दोहा छंद)
देव गणपति पधारिए,आज हमारे धाम।
चरणों में मस्तक नवा,करते हम प्रणाम।।
मन से लोग पुकारते, लेकर उनका नाम।
जीवन सदा संवारते,बनते बिगड़े काम।।
दीन-हीन जो लोग हैं, रखते उनकी लाज।
अपने भक्तों के सदा,सफल करें सब काज।
मूषक वाहन चढ़ सदा, करें भ्रमण चहुं ओर।
आपद-विपद सभी हरें,चाहे जितना घोर।।
विघ्नेश्वर-संकट हरण,सबके दीनानाथ।
अपने भक्तों के सदा,सिर पर रखते हाथ।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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