सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य
देश की रक्षा करना सभी देशवासियों का परम कर्तव्य है। देश की सीमा रक्षा करते हुए आज देश के अनेक वीर सपूत अपने प्राणों को न्योछावर कर रहे हैं।लेकिन इस विषय संकट की घड़ी में कुछ युवा शक्ति अपने उफनते लहू के जोश का गला घोट कर घर बैठने को मजबूर हो अपने मन में एक कचोटती भावना लिए कुछ करने से असमर्थ विवशता से हाथ मलते हुए सोचते हैं कि काश ...................
आज देश को उस देश से ही लड़ना पर रहा है जो आजादी से पूर्व भारत भू का ही अंग था ।तो कल किसी अन्य पड़ोसी देशो से भी लड़ना सकता है ।आज हमारे दुश्मन हमारे वे भाई ही बन बैठे हैं, जो स्वतंत्रता की लड़ाई में हमारे हाथों में हाथ डाल कर हमारा साथ निभाए थे ।तो कल अन्यान्य देश से वासी भी हमारा दुश्मन बन सकते हैं। कभी भी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है जब देश की रक्षा के लिए देशवासियों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़े ।इसलिए युवाओं को हर क्षण अपनी मातृभूमि की रक्षा जैसे पुनीत कार्य के लिए तत्पर रहना होगा।और यह तभी संभव है जब देश का प्रत्येक युवा एक प्रशिक्षित सैनिक हो।जब- जब देश पर खतरे के बादल मंडराते हैं हर दिशा से युवा शक्ति की पुकार होने लगती है । इसलिए जिस प्रकार अन्य देशों में युवाओं के लिए अनिवार्य सैन्य -प्रशिक्षण की व्यवस्था है।उसी प्रकार अपने देश में भी शिक्षा के साथ-साथ देश के हर युवा को सैनिक प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से देनी चाहिए। ताकि जब कभी-भी देश को अपनी रक्षा के लिए अपने वीर सपूतों की आवश्यकता पड़े, वे बहादुरी पूर्क दुश्मनों से लोहा ले सकें ,और अपनी मातृ-भूमि की रक्षा कर अमर हो जाएंँ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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