हम भारत के लोग (रूप घनाक्षरी छंद)
अलग है बोली भाषा,
इच्छा और अभिलाषा,
फिर भी रखते आशा,
हम भारत के लोग।
अलग है परिधान,
अलग है खान-पान,
करें सबका सम्मान,
हम भारत के लोग।
संस्कृति में अनेकता,
रिवाजों में अनेकता,
रखें मन में एकता,
हम भारत के लोग।
हिंदू या मुसलमान,
मुगल हो या पठान,
करते सबका मान,
हम भारत के लोग।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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