कुहू-कुहू कूकती कोयलिया,
बैठी अमवा की डलिया ।
कुहू -कुहू हू बोलती कोयलिया,
बैठी अमवा की डलिया।
मीठी धुन में गीत सुनाबे।
मोरे मन में प्रीत बढ़ाबे।
मन में खिला से कलिया,
बैठ अमवा की डलिया ।
पंचम सुर का राग मनोहर।
सबका मन लेती है तू हर।
बड़ी निक लागे बोलिया,
बैठ अमवा के डलिया।
कितना गाएगी री कोयलिया।
मन में हूक मारे तेरी बोलिया।
दिल में मारे है गोलिया,
बैठी अमवा के डलिया।
पिया परदेश में धुनिया रमाबे
की जाने दूसर ब्याह रचाबे।
ताना मोहे मारे सहेलिया,
बैठी अमुआ की डलिया।
सुजाता प्रिय समृद्धि
नमन दीदी मेरी रचना को प्रस्तुत करने हेतु
ReplyDeleteवाह!सखी ,सुंदर सृजन।
ReplyDelete