पेड़ लगाओ पानी पाओ
देख लो तुम
यह रेगिस्तान में,
भरा है रेत।
बन रहे हैं
देखो ऐसे ही अब
हमारे खेत।
दूर-सुदूर
दिख रहा है यहाँ
एक ही पेड़।
हम मानव
ने बर्वाद है किया
है इसे छेड़।
अगर हम
एक-एक पेड़ भी
यहाँ लागते।
बसुंधरा के
आंचल में हैं हम
पेड़ सजाते।
स्वच्छ रहता
पर्यावरण यहाँ
हम हँसते।
सूखता नहीं
नल कूप न पानी
को तरसते
सुजाता प्रिय समृद्धि
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