खनक रहीं चूड़ियाँ,पूछ रही बात रे।
कब होगी तेरी पिया से मुलाकात रे।
कब होगी..........
गोरी कलाई में झंकारती हैं चूड़ियांँ।
झनक-झनक ये पुकारती हैं चूड़ियांँ।
तेरे बिना बालमा कटती ना रात रे।
कब होगी ..........
तुझ बिन लगती है बैरी ये चूड़ियांँ ।
गा कर चिढ़ाती हैं गैरी ये चूड़ियांँ।
समझती न मेरे दिल की हालात रे।।
कब होगी.............
पिया परदेशिया दरद नहीं जाने।
मन की तड़प की बात नहीं माने।
आजा बलमुआ तू लेके सौगात रे।
कब होगी...............
सुजाता प्रिय समृद्धि
सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद भाई
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दीदीजी
ReplyDeleteमेरी रचना को पाँच लिंकों के आनंद में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
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