पति-पत्नी
आपस में विश्वास बनाकर।
एक-दूजे का साथ निभाकर।।
जीवन पथ पर बढ़ते जाते।
अंत-काल तक साथ निभाते।।
कभी-कभी तकरार भी होता।
पर आपस में प्यार भी होता।।
जो आती सुख-दुख की बारी।
दोनों ही बन जाते अधिकारी।।
माता-पिता की सेवा हैं करते ।
परिजनों के संताप-दुःख हरते।।
पाल-पोसकर बच्चों को पढ़ाते।
माता-पिता का कर्तव्य निभाते।।
प्यार के रंग में रंगती है जोड़ी।
लड़ाई-खिचाई भी होती थोड़ी।।
पत्नी सयानी और पति सयाना।
दोनों मिल कर हैं एक समाना।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 27 अक्टूबर 2022 को 'अपनी रक्षा का बहन, माँग रही उपहार' (चर्चा अंक 4593) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 2:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
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