Monday, September 19, 2022

पितरों का आशीष

पितरों का आशीष (मनहरण घनाक्षरी )

पितृपक्ष चल रहा,
    दिन-दिन टल रहा,
       समय निकल रहा, 
          तर्पण तो कीजिए।

कीजिए आप तर्पण,
    पितरों को दे अर्पण,
       फल-फूल समर्पण,
           प्रसन्न हो कीजिए।

तृप्त हो पितृलोक,
    मिटाते हैं रोग-शोक,
       बढ़ा जीवन आलोक,
           श्रद्धा भाव दीजिए।

होकर अति प्रसन्न,
    पितर मन-ही-मन,
        देते अन्न-धन-जन,
          आशीष तो लीजिए।

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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