Wednesday, August 3, 2022

काश! मैंने कह दिया होता



काश मैंने कह दिया होता

सामने कुर्सी पर दो महिलाएंँ साथ-साथ बैठी थीं। रमेश बाबू दोनों को बारी-बारी से देख रहे थे। दोनों में कितना अंतर है । एक सुंदर, शांत, समझदार, सहनशील,शालीन, मृदुभाषी ।ना कोई नाज नखरे ना कोई शान- घमंड ।दूसरी दिखने में साधारण अशांत,उदंड,बाचाल,नासमझ, नखरेबाज और घमंडी। पहली महिला उसके दोस्त की पत्नी और दूसरी उनकी स्वयं की पत्नी। वे यादों के भंँवर में गोते लगाने लगे। जब उनकी नौकरी लगी थी, पहली महिला के परिजन उनके घर उनसे विवाह का प्रस्ताव लेकर आए थे। उनके घर वालों को लड़की तो भाई लेकिन दान-दहेज ? ना -ना -ना !हम कोई फ़क़ीर घर में बेटे की शादी नहीं करेंगे ।इतने कम में हम क्यों बेटे का विवाह करें ?कोई मेरा बेटा भागा तो नहीं जा रहा ।साइत अच्छा कहें या किस्मत खराब। अगले महीने ही दूसरा परिवार आया और मुँह- मांगी दहेज देने को तैयार हो गया। अब ढेर किस बात की ? सभी ने तुरंत हामी भर् दी।खुशखबरी रमेश बाबू के कानों तक भी पहुंची। संयोग से वे दोनों लड़कियों को जानते थे ।दोनों उनके ही कॉलेज में पढ़ती थी दोनों ही अपने-अपने गुण-दोषों के कारण चर्चित थीं। वे दोनों की तुलना करने लगे ।जमीन- आसमान का अंतर । पहली दुःख-पीड़ा में भी मुस्कुराने वाली। दूसरी घमंड से बरसने-गरजने वाली ।जी में आया -अपने परिवार को कह दें कम दहेज भी लाती है तो पहली लड़की से ही हमारा विवाह करें ।लेकिन कहे तो कैसे ? कहीं इसका कुछ दूसरा अर्थ ना निकल जाए कि साथ में पढ़ती थी .................... फिर  पैसे कम देंगे तो शादी का सारा खर्च कैसे चलेगा ? लोग सरस्वती और शक्ति से ज्यादा महत्व तो लक्ष्मी को ही देते हैं । सो रमेश बाबू के साथ भी ऐसा ही हुआ। आखिर वे उन धनाढ्य की बेटी के साथ बंध गए ।कुछ ही दिनों में पता चला पहली लड़की की शादी उसके बचपन के मित्र लखन से हुई ।दहेज कम देने के कारण प्राइवेट में काम करने वाला लड़का अजीत से उसकी शादी हो गई।
आज उनकी शादी के 25वीं वर्षगांठ है ।मोहल्ले में रहने के कारण अजीत और उसकी पत्नी  भावना भी आमंत्रण पर पधारे। उनकी पत्नी रजनी भावन को जानती थी । इसलिए दोनों साथ -साथ बैठकर बातें करने लगीं। रमेश जी भावना को देख सोच रहे थे । काश मैंने कह दिया होता ,उस दिन अपने परिवार से कि मुझे भावना ही पसंद है ।लोग बातें बनाते, पैसे कम मिलते,लेकिन जीवन तो सुखमय होता। भावना मुहल्ले की सबसे अच्छी और समझदार बहू कहलाती है।और रजनी उफ़ sssss मेरे साथ -साथ मेरे घर वालों और बच्चों के नाक में भी.......................
              सुजाता प्रिय समृद्धि

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