आज
नागपंचमी है
चलें हम सब
नागदेव के
पास।
नाग
देवता हैं
सबके दुख हरते
रखो यह
विश्वास।
देखो
नागदेव के
मंदिर में है
भीड़ लगी
खूब।
पूजन
करने आए
हैं सब लोग
है मची
धूम।
दूध
और लावे
का सब लोग
लगा रहे
भोग।
भजन
और आरती
गा रहे मिलकर
देखो सब
लोग।
सभी
जन है
शीष झूका कर
आशीष हैं
लेते।
नागदेव
प्रसन्न होकर
यहाँ सबको आज
वरदान हैं
देते।
सुखी
रहे परिवार
गाँव-गिरांव के
अब सारे
लोग।
हे
नाग देव
आप हर लिजिए
सबके सारे
रोग।
सुजाता प्रिय समृद्धि
अच्छी सामयिक रचना
ReplyDeleteबहुत सुगढ़ता से छंद लिखे है ।
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