ग़ज़ल
तुम जा रहे हो , ना अब बात होगी।
किसी मोड़ पर,फिर मुलाकात होगी।
विरहा की अग्नि से व्याकुल न होना,
प्यार के सावन की बरसात होगी।
अभी कुछ दिनों की दूरी है हमारी,
फ़िक्र ना करो हमसे फिर बात होगी।
तड़पाए भले यह दिन का उजाला,
खुशियों के पल से भरी रात होगी।
माना की आयी ये मुश्किल घड़ी है,
ढलने दो खुशियों की सौगात होगी।
सुजाता प्रिय समृद्धि
माना की आयी ये मुश्किल घड़ी है,
ReplyDeleteढलने दो खुशियों की सौगात होगी।
.. बहुत सही
बेहतरीन गजल ।
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