सायली छंद
मेला
शहर
के बाहर
कितना बढ़िया देखो
लगा है
मेला।
मेले
के पास
भांति -भांति का
लगा है
ठेला।
उन
ठेले में
चाट-पकौड़े गुपचुप
लगे हुए
हैं।
रंगीन
आइस्क्रीम औ
शरबत से ठेले
सजे हुए
हैं।
मेला
हम जाएंगे
खूब मिठाई खाएंगे
संगी-साथी
संग।
खूब
घूमेंगे-फिरेंगे
मौज-मस्ती करेंगे
और मचाएंगे
हुड़दंग।
हम
तरह-तरह
के झूले में
साथ-साथ
झूलेंगे।
और
पेंग बढ़ाकर
साथ-साथ हम,
आसमान को
छुएंगे।
सीटी
और बाजे
भी हम लाएंगे
सब मिलकर
बजाएंगे।
मेले
घूमने की
खुशियांँ में हम
प्यारा गीत
गाएँगे।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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