सावन
है आया
नभ में देखो
है बादल
छाया।
टपक
टपक कर
बरसता है पानी
सबका मन
हरसाया।
वन
उपवन में
झूमते हैं पादप
हरियाली है
छायी।
बयार
चले अब
ठंडी -ठंडी यह
सबको है
भायी।
नयी
उमंग है
नयी तरंग है
सबके जीवन
में।
नव
उल्लास है
नव परिहास है
सबके मन
में।
भरे
हुये हैं
कूप ताल तलैया
नदिया और
पोखर।
तैर
रहे हैं
अब सारे जलचर
बहुत खुश
होकर।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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