गोरी का शृंगार
होठों पर लाली, कानों में बाली।
पहनकर चली गोरिया मतवाली।।
कानों में झुमका,लगाकर ठुमका।
सनम जाना है आज मुझे दुमका।।
अंखियों में कजरा,जूड़े में गजरा।
खूब समझती तेरी बातों का माजरा।।
पांवों का पायल, किया मन घायल।
रुनझुन संगीत का हुआ मन कायल।।
हाथ कंगन बाला,गले में माला।
बिंदिया सजाकर चली वृजवाला।।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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