रक्तदान महादान
आज विश्व रक्तदाता दिवस के पुण्य-अवसर पर जगह-जगह पर रक्तदाता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।रक्तवीरों के होंठों पर विजयी मुस्कान इस प्रकार नृत्य कर रही हैं जैसे वे कोई बहुत बड़ी जीत हासिल करने जा रहे हैं। अथवा जीवन के कोई सर्वोत्तम कार्य करने जा रहे हैं।हाँ उनकी यह मुस्कान भी सही है।यह उनकी जीत ही तो है।मानव का मानवता के ऊपर।यह जीवन का एक सर्वोत्तम कार्य ही तो है। अपना रक्त देकर किसी दूसरे प्राणि का जीवन बचाना। भले ही रक्तदाता को यह ज्ञात नहीं होता कि उसके द्वारा प्रदान किया गया खून किस जाति एवं धर्म के व्यक्ति के धमनियों में प्रवाहित हो रहा।किस मतावलम्बियों की जान बचा रहा है।इन सभी जाल -जंजालों से उन्हें क्या मतलब ? उन्हें तो बस रक्तदान का पुण्य कार्य करना है। बहुत ही अच्छी सोच और बहुत ही अच्छे विचार।
लेकिन काश उनका यानी हम सभी मानवों का मानवता के ऊपर ऐसे ही उच्च विचार और व्यवहार होते ?हम सभी जातिगत एवं धार्मिक झगड़ों के समय भी ऐसे ही उदारवादी और सहिष्णु होते।एक मानव की सुरक्षा मानव की तरह करते और सिर्फ शांति पूर्ण और सहयोगी भावना का विकास अपने मन में करते ।तो हमारे मानव समुदाय में प्रेम, सहिष्णुता और एकजुटता होती।
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