Friday, November 26, 2021

झूमर ( मगही भाषा )

झूमर ( मगही भाषा )

पिया हमरा के ले गेल बजरिया जी।
                         बजरिया जी।
मांग टीका गढ़ैलकै हजरिया जी।

टीकबा पहीन हमें गेलियै बजरिया।
सब छोरन के अटके नजरिया जी। नज़रिया जी।
उनका देखके मारबै लतड़िया जी।

टीकबा पहीन हमें गेलियै अंगनमा।
मोर देवर जी मारे नजरिया जी।
                        नजरिया जी।
उनका ठेलके भेजबै अटरिया जी।

टीकबा पहीन हमें गेलियै दुअरिया।
ननदोई जी मारे नजरिया जी।
                      नजरिया जी।
उनका ननदी संग चढैबै पहड़िया जी।

टीका पहीन हमें गेलियै सेजरिया।
मोर सैंया के अटके नजरिया जी।
                          नजरिया जी।
उनका संग लगाएव यारिया जी।
               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                 स्वरचित, मौलिक

2 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (27 -11-2021 ) को 'भाईचारा रहे, प्रेम का सागर हो जग' (चर्चा अंक 4261) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. काश,ये हमें कहीं संगीत में ढला म‍िलता... वाह क्‍या खूब ल‍िखा है टीकबा... पहीन हमें गेलियै अंगनमा।
    मोर देवर जी मारे नजरिया जी।

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