मां दुर्गा की भोग आराधना गीत
(लावणी छंद)
नवरात्रि में नवदुर्गा माता को मनभावन भोग लगाइए।
मां के चरणों में शीश नवाकर,मनचाहा वर को पाइए।
प्रथम दिवस शैलपुत्री मां के चरणों में गौ का घी चढ़ाइए,
अपनी प्यारी काया को, सुंदर-स्वच्छ, निरोग बनाइए।
द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी मां को,शक्कर भोग लगाइए,
माता से आशीष पाकर,अपनी आयु को दीर्घ बनाइए।
तृतीय दिवस चन्द्र घंटा मां को खीर-मिठाई खिलाइए,
सदा सुखी का वरदान लिजिए, दुःख से मुक्ति पाइए।
चतुर्थ दिवस कुष्मांडा मां को, मालपुआ खिलाइए,
बुद्धि विकसित कर देंगी मां, निर्णय शक्ति बढ़ाइए।
पंचम दिवस स्कंदमाता को,कदली का भोग लगाइए,
काया कंचन सदा रहेगी, शरीर को स्वस्थ्य बनाइए।
षष्ठम दिवस कात्यायनी मां को, मीठा शहद खिलाइए,
सुंदर,धौम्य सुकुमार शरीर, व्यक्तित्व आकर्षक पाइए।
सप्तम दिवस कालरात्रि मां को, गुड़ का भोग लगाइए,
अकास्मिक आने वाले, सारे संकट से छुटकारा पाइए।
अष्टम दिवस महागौरी मां को, नारियल भोग लगाइए,
बंध्यापन को दूर करें,और संतति के सुख को पाइए।
नवम दिवस सिद्धिदात्री मां को,तिल का भोग लगाइए,
अकास्मिक मृत्यु के भय से,सदा के लिए राहत पाइए।
दसम दिवस माता रानी के,चरणों में शीश नवाइए।
शुभाशीष, शुभकामनाएं पाकर, यात्रा शुभ बनाइए।
प्रेम से बोलो जय माता की 🙏🙏
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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