रावण मरता क्यों नहीं
हर साल विजयदशमी की अवसर पर बुराई के प्रतीक स्वरूप रावण को हम तीर चलाकर मारते हैं। अग्नि प्रज्वलित कर उसे धूं-धूं कर जलते हुए देखते हैं और मन में संतुष्ट होते हैं कि रावण का दहन हो गया।रावण मर गया। किन्तु आगामी साल के विजयदशमी को पुनः रावण को मारना पड़ता है।फिर हम सोचते हैं कि प्रत्येक वर्ष मारे जाने पर भी रावण मरता क्यों नहीं ?
आखिर क्यों ? हर बार रावण को मारना पड़ता है। इस ज्वलंत प्रश्न पर हम कभी विचार नहीं करते। हम कभी यह नहीं सोचते कि कपड़े अथवा कागज के बने रावण को तो हम अग्नि में फुकते हैं किन्तु मन में पल रहे बुराई रुपी रावण को तो हम कभी फूंक नहीं पाते।मन में उठे दुर्विचारों को, दुर्व्यवहारों को, दुराचारों को हम कभी मार नहीं पाते।तो भला हर साल मारने पर भी रावण क्यों मरेगा ?
जिस प्रकार रावण मांस-मदिरा का सेवन करता था।उस प्रकार हम भी कर रहे हैं। जिस प्रकार रावण साधु-संतों को सताता था उस प्रकार भले लोगों के साथ हम भी दुर्व्यवहार करते हैं। जिस प्रकार रावण पराई स्त्रियों का हरण करता था उस प्रकार हमारे समाज में भी नारियों का अपहरण किया जाता है।जिस प्रकार रावण दूसरों के धन नष्ट करता था ,उस प्रकार हम भी दूसरों के धन लूट रहे हैं।इस प्रकार रावण तो हमारे मन के कण-कण में विद्यमान है। इसलिए रावण के मारने की हमारी लाख कोशिशों के बावजूद रावण नहीं मरता है। अगर हम सचमुच रावण को मारना चाहते हैं तो इस नकली रावण को मारने का ढोंग करने वाले अभिनय करने से अच्छा मन में उत्पन्न बुराई रुपी असली रावण को मारने का प्रयत्न करें।रावण ज़रूर मर जाएगा।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
आभार दी।सादर नमस्कार
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-10-21) को "/"रावण मरता क्यों नहीं"(चर्चा अंक 4220) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ❤️
Deleteमुझे नहीं लगता कि रावण कभी मर भी पाएगा। हम सब अपने रावण को सुरक्षित रखे हुए हैं और पडौसी से कह रहे हैं कि वह अपने भीतर के रावण का मारे। ऐसे में, रावण मरे तो भला कैसे मरे।
ReplyDeleteजी सही कहा आदरणीय। हमें दूसरे के मन के रावण को मारने से पहले अपने मन को रावण को मारना होगा।सादर
Deleteसत्य कहा आ0
ReplyDeleteउत्तम
सादर धन्यवाद सखी !
Deleteजब तक मन के अंदर की बुराई और रावण का अंत नही होगा तब तक रावण का मरना असंभव है!पुतले को फूकने से कुछ नहीं होने वाला! पुतले को फूकने के बजाय अपने अंदर के रावण को मारना जरूरी है! तभी रावण का अंत होगा! नहीं तो ऐसे ही हर साल पुतले ही फूकते रहेंगे!
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा और सत्य बात कही है!
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ❤️
Deleteवाह!बहुत खूब सखी । अंदर के रावण को मारना जरूरी है ,चलिए शुरुआत करते हैं......
ReplyDeleteजी सखी! आभार
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteरावण मरने का नाटक करता है|
ReplyDeleteजी सर !हम रावण को मारने का नाटक करते हैं। सादर आभार
Deleteबहुत सुंदर विचारणीय आलेख।
ReplyDeleteहृदय तल से धन्यवाद सखी ❤️
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