मन कभी विचलित न करना, छोड़ने के वास्ते।
माना पथ मुश्किल बहुत है,पर इसे मत छोड़ना।
मुश्किलों के मुकाबले को,मुख कभी मत मोड़ना।
राह में कण्टक अगर है,रौंद कर बढ़ते चलो।
हौसला रखकर हृदय में, पहाड़ पर चढ़ते चलो।
आहत होकर ठोकरों से,हिम्मत कभी मत हारना।
हर हाल में बढ़ना तुम्हें है,मन में रख लो धारना।
मन के सारे हार होती, मन के हारे ही जीत है।
हिम्मत तुम्हारा संगी-साथी,हिम्मत ही तेरा मीत है।
तुम अगर बढ़ते चले तो,राह स्वयं मिल जाएगी।
हर मुसीबत हौसलों से, राह से टल जाएगी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
बहुत बढ़िया प्रेरणात्मक संदेश देती रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteपढ़ते-पढ़ते " रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साए बहार के" गीत जुबां पर आये बिना न रहा
आहत होकर ठोकरों से,हिम्मत कभी मत हारना।
ReplyDeleteहर हाल में बढ़ना तुम्हें है,मन में रख लो धारना।
वाह!!!
बहुत सुन्दर प्रेरक सृजन।