गुरु मां
मां की गोद से उतर हम बच्चे विद्यालय जाते हैं।
मां के रूप में वहां गुरु मां को पाते हैं।
दिन भर गुरु मां हमें, प्यार से हैं सम्हालतीं।
गुरु बन गुण के सांचे में, हमको हैं ढालतीं।
तभी तो घर से बाहर रहकर भी हम ना घबराते हैं।
मां के रूप में वहां .....................
मानवता का पाठ पढ़ाती,दुलार हमें हैं देतीं।
पढ़ा-लिखा, गुणवान बना, संस्कार हमें हैं देतीं।
मार्गदर्शन लक्ष्य पाने का,हम उनसे पाते हैं।
मां के रूप में.............
बच्चों पर मां की तरह, प्यार लुटाती हैं।
इसीलिए तो शिक्षिका गुरु मां कहलातीं है।
बच्चे भी आदर करते,और प्यार लुटाते हैं।
मां के रूप में..................
सुजाता प्रिय समृद्धि
बहुत बढिया सुजाता जी | माँ को समर्पित सुंदर पंक्तियाँ | सच है -- इंसान की सबसे पहली गुरु माँ ही होती है जो उसमें संस्कारों का बीजारोपण करती है | सस्नेह शुभकामनाएं|
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी आपका।
ReplyDeleteसखी एक बार फिर से पढ़े।यह मां के लिए नहीं गुरु मां के लिए है। मां के रूप में वहां गुरु मां को पाते हैं।
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