मां का आंचल
जिससे हम पाते शीतल छाया।
जिसमें बसती है ममता माया।
जो ढककर रखती मेरी काया।
जिसका सुगंध है मन को भाया।
वह मेरी मां का आंचल है।
जिसमें हर फूलों की महक है।
जिसमें चांद तारे-सी चमक है।
पायल की घुंघरू-सी छनक है।
हाथों की कंगने की खनक है।
वह मेरी मां का आंचल है।
जो हमको प्यार से सहलाता।
हवा में उड़ कर मन बहलाता
अंक में भरकर है हमें झुलाता।
हर पल है जो हमको लुभाता।
वह मेरी मां का आंचल है।
जो पंखा बन देता वायु झोंके।
धूल-गंदगी सब पड़ने से रोके।
मेरी आंसुओं को हरदम पोंछे।
मुत्र -पसीने को खुद में सोखे।
वह मेरी मां का आंचल है।
निंदिया आयी,आंखें झपकी।
जो देता जो प्यार की थपकी।
छोर- छोर उड़ आती लपकी।
हर कोने से है ममता टपकी।
वह मेरी मां का आंचल है।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
माँ का आँचल जीवन की सबसे बड़ी छाँव होता है । सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया। एक बात आप सभी को बताना चाहती हूं।मैं मां से संबंधित एक साझा संकलन का सम्पादन कर रही हूं। उसके लिए रचनाएं आमंत्रित हैं।क्या आपलोग शामिल बौना चाहेंगी।अगर हां तो मेरे व्हाट्स ऐप नम्बर पर सम्पर्क करें सभी लोग 8051160102
Deleteपांच लिंक मंच पर टिप्पणी में सूचना डाल दें सुजाता जी।
Deleteबहुत लाज़वाब रचना।
ReplyDeleteमाँ के आंचल में बात ही निराली है।
वाह।
नई रचना पौधे लगायें धरा बचाएं
आभार भाई
Deleteसादर धन्यवाद सखी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर। वाह!
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteजोहमको प्यार से सहलाता।
ReplyDeleteहवा में उड़ कर मन बहलाता
अंक में भरकर है हमें झुलाता।
हर पल है जो हमको लुभाता।
वह मेरी मां का आंचल है।
वाह! मां को समर्पित भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुजाता जी 👌👌🙏🌷🌷
यह मैंने मातृछाया के लिए लिखा है सखी।
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा है सुजाता जी |
Deleteजी सादर धन्यवाद सखी।आपने तो सख्त मना कर दिया।
Deleteसुन्दर भाव!
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसुख का सागर
ReplyDeleteमाँ का आँचल
लोरी की याद दिलाती कविता.
सुजाता जी, इस संकलन में ब्लॉग पर प्रकाशित कविता भी भेजी जा सकती है ?
जी ब्लॉग पर प्रकाशित कविताएं प्रकाशित कम सुरक्षित होती हैं। ऐसी बात नहीं कि हम उसे कहीं छपबाएंगे नहीं। हां एक ही रचना को बार बार अन्य पुस्तकों में छपबाना सही नहीं।
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteजी मातृत्व विषय पर
Deleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआप भी मातृछाया साझा काव्य संग्रह में शामिल हों सखी।सभी की रचनाएं आ रही हैं।
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