Monday, July 12, 2021

मां का आंचल

मां का आंचल

जिससे हम पाते शीतल छाया।
जिसमें बसती है  ममता माया।
जो ढककर रखती  मेरी काया।
जिसका सुगंध है मन को भाया।
वह मेरी मां का आंचल है।

जिसमें हर फूलों की महक है।
जिसमें चांद तारे-सी चमक है।
पायल की घुंघरू-सी छनक है।
हाथों की कंगने  की खनक है।
वह मेरी मां का आंचल है।

जो हमको प्यार से  सहलाता।
हवा में उड़ कर मन बहलाता
अंक में भरकर है हमें झुलाता।
हर पल है जो हमको लुभाता।
वह मेरी मां का आंचल है।

जो पंखा बन देता वायु झोंके।
धूल-गंदगी सब पड़ने से रोके।
मेरी आंसुओं को हरदम पोंछे।
मुत्र -पसीने को खुद में सोखे।
वह मेरी मां का आंचल है।

निंदिया आयी,आंखें झपकी।
जो देता जो प्यार की थपकी।
छोर- छोर उड़ आती लपकी।
हर कोने से है ममता टपकी।
वह मेरी मां का आंचल है।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
        स्वरचित, मौलिक

20 comments:

  1. माँ का आँचल जीवन की सबसे बड़ी छाँव होता है । सुंदर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया। एक बात आप सभी को बताना चाहती हूं।मैं मां से संबंधित एक साझा संकलन का सम्पादन कर रही हूं। उसके लिए रचनाएं आमंत्रित हैं।क्या आपलोग शामिल बौना चाहेंगी।अगर हां तो मेरे व्हाट्स ऐप नम्बर पर सम्पर्क करें सभी लोग 8051160102

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    2. पांच लिंक मंच पर टिप्पणी में सूचना डाल दें सुजाता जी।

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  2. बहुत लाज़वाब रचना।
    माँ के आंचल में बात ही निराली है।
    वाह।
    नई रचना पौधे लगायें धरा बचाएं

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  3. सादर धन्यवाद सखी।

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  4. जोहमको प्यार से सहलाता।
    हवा में उड़ कर मन बहलाता
    अंक में भरकर है हमें झुलाता।
    हर पल है जो हमको लुभाता।
    वह मेरी मां का आंचल है।
    वाह! मां को समर्पित भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुजाता जी 👌👌🙏🌷🌷

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  5. यह मैंने मातृछाया के लिए लिखा है सखी।

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    1. बहुत बढिया लिखा है सुजाता जी |

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    2. जी सादर धन्यवाद सखी।आपने तो सख्त मना कर दिया।

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  6. सुख का सागर
    माँ का आँचल

    लोरी की याद दिलाती कविता.
    सुजाता जी, इस संकलन में ब्लॉग पर प्रकाशित कविता भी भेजी जा सकती है ?

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  7. जी ब्लॉग पर प्रकाशित कविताएं प्रकाशित कम सुरक्षित होती हैं। ऐसी बात नहीं कि हम उसे कहीं छपबाएंगे नहीं। हां एक ही रचना को बार बार अन्य पुस्तकों में छपबाना सही नहीं।

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  8. अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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    1. जी मातृत्व विषय पर

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  9. भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  10. आप भी मातृछाया साझा काव्य संग्रह में शामिल हों सखी।सभी की रचनाएं आ रही हैं।

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