Saturday, May 15, 2021

वक्त (ग़ज़ल )



वक़्त मुश्किल है लेकिन गुजर जाएगा।
आज बिगड़ा है कल यह सुधर जाएगा।

वक्त की मार हम पर पड़ी है बड़ी,
खत्म जल्दी हो इसका असर जाएगा।

वक्त मरहम है बड़े-से-बड़े रोगों का,
वक्त से जख्म गहरा ये भर जाएगा।

वक़्त के हाथों की हम हैं कठपुतलियां,
वक्त की डोर में खेल ये मुखर जाएगा।

वक्त के संग कदम हम मिलाकर चलें,
रंग जीवन का सारा निखर जाएगा।

वक्त माना कि पल में बदल जाता है,
वक्त आने दो जीवन संवर जाएगा।

       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
          स्वरचित, मौलिक

3 comments:

  1. हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं 🙏🙏

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  2. वक्त मरहम है बड़े-से-बड़े रोगों का,
    वक्त से जख्म गहरा ये भर जाएगा।
    वक़्त के हाथों की हम हैं कठपुतलियां,
    वक्त की डोर में खेल ये मुखर जाएगा।
    सच में ही समय मुश्किल। है सखी। पर आशा है जल्द ही दिन बदलेंगे हार्दिक शुभकामनाएं वक्त मरहम है बड़े-से-बड़े रोगों का,
    वक्त से जख्म गहरा ये भर जाएगा।

    वक़्त के हाथों की हम हैं कठपुतलियां,
    वक्त की डोर में खेल ये मुखर जाएगा।🙏🙏🙏💐

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  3. हार्दिक धन्यवाद सखी!

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