कहते थे गांधी बारम्बार।
सादा जीवन उच्च विचार।
अहिंसा ही जीवन का सार।
कर इसको मन से स्वीकार।
सच्चाई है तेरा हथियार।
और मिथ्या है तेरी हार।
कभी नहीं तुम हिम्मत हार।
यही है जीवन का आधार।
करो नहीं तुम अत्याचार।
हाथ नहीं लेना तलवार।
तुझपर है माता का भार।
भारत मां से करना प्यार।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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