नव
भारत के
नव वृंद हम,
नई उमंग लाएँगे ।
नव
प्रभात की
नई किरण बन,
नव विश्वास जगाएँगे।
नव
युग में
नव जागृति की,
नई चेतना लाएँगे।
नव
वसंत में
नयी सभ्यता की,
नव कलियाँ बन मुस्काएँगे।
नव
जीवन की
नव प्रसून हम,
नयी रीति से खिलाएँगे।
नये -नये
अभियान
चलाकर हम
नयी स्वतंत्रता लाएँगे।
मानवता
की नई क्रांति कर,
नव इतिहास रचाएँगें।
नव
भारत के
नए गीत हम,
झूम-झूमकर गाएँगे।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित