देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिन्दी भाषा की जननी संस्कृत भाषा है।या यूँ कहें हिन्दी संस्कृत भाषा का ही सरल रूप है।यह एक वैज्ञानिक भाषा है।इस भाषा में कोई उच्चारण दोष नहीं है।इस भाषा को लिखने में स्वरों के मेल के लिए अक्षर नहीं अपितु मात्राओं को उपयोग में लाया जाता है।संस्कृत हर भाषा की जननी है तो हिन्दी सभी भाषाओं का प्रतिनिधित्व करती है।यह सहजता से समझी और सीखी जाने वाली सरल भाषा है।इसके हर अक्षर और अक्षरों के योग से निर्मित शब्दों में जो माधुर्य है वह किसी अन्य भाषा में नहीं। सच माने तो हिन्दी हमें एकाग्रता के साथ-साथ एकरूपता अखण्डता का भी पाठ पढ़ाती है। हिन्दी भारत की हर क्षेत्रिय भाषी लोगों को सहजता से समझ आती है।
यही कारण है कि हिन्दी भाषा को हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा का गौरव प्राप्त है।
भारत के हिन्दी साहित्यकारगण हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाते हुए 'समृद्धि' की ओर ले जाने का अथक प्रयास कर रहे हैं। इस भाषा में साहित्यारों 'द्वारा लिखे गए लेख, निबंध, नाटक, कहानी, कविता, उपन्यास इत्यादि काफी सुंदर, सार्थक और आकर्षक होते हैं।
इस भाषा को विस्तार देने एवं समृद्ध बनाने में हमारे देश के फिल्म- जगत का योगदान भी सराहनीय है ।जो बड़े-बड़े फिल्म -उद्योग चलाकर देश-विदेश में हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करने का प्रयास कर रहे हैं ।विदेशों में लोग भी बड़ी तन्मयता से हिन्दी फिल्म देखते और पसंंद करते हैं।एक दिन ऐसा भी आएगा जब देश-विदेश में बोली जाने वाली हमारी हिन्दी।इस प्रकार हिन्दी भाषा जल्द ही अखण्ड भारत का निर्माण कर सम्पूर्ण जगत में अपना अलग पहचान बनाकर रहेगी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
मौलिक रचना
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (११-०९-२०२०) को 'प्रेम' (चर्चा अंक-३८२२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी मेरी रचना को चर्चा अंक में साझा करने के लिए।
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई!
Deleteसही है।
ReplyDeleteसादर धन्यबाद भाई
ReplyDeleteसचमुच वो दिन जरूर आयेगा....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेख।
हार्दिक धन्यबाद सखी
Deleteसुन्दर विचार
ReplyDeleteसादर आभार
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