हम भारत की बेटियाँ हैं , इसका मान बढ़ाएँगे।
देश की रक्षा के निमित हम,हँसकर प्राण गवाँएगें।
कोई भारत माँ पर अपनी,बुरी नजर अब डालेगा।
इसकी धरती पर कब्जे की मन में सपने पालेगा।
हम संहार के लिए खड्ग ले रणचण्डी बन जायेंगे।
देश की रक्षा के निमित हम हँसकर प्राण गवांएगे।
अब किसी की गुलामी, हमको है स्वीकार नहीं।
मेरी पावन धरती पर,किसी का है अधिकार नहीं।
अपनी जौहर की ज्वाला में दुश्मन को जलाएँगे।
देश की रक्षा के निमित हम हँसकर प्राण गवाँएगें।
सीमा की रक्षा की खातिर,हम प्रहरी बन जाएगें।
अपने घर के वीरों को भी,अपने साथ लगाएँगे।
हम चुड़ावत की हाड़ा बन,मुण्डमाल बन जाएँगे।
देश की रक्षा के निमित हम हँसकर प्राण गवाँंएगे।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
सीमा की रक्षा की खातिर,हम प्रहरी बन जाएगें।
ReplyDeleteअपने घर के वीरों को भी,अपने साथ लगाएँगे।
बहुत ही सुंदर सृजन सुजाता जी , स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आपको
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी कामिनी जी।आपको भी सपरिवार स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
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