मेरी बगिया में छाई बहार तुमसे।
पिया मेरा है सोलह श्रृंगार तुमसे।।
जब माथे पर बिंदिया सजाऊँ।
तेरे मुखड़े को हँसता मैं पाऊँ।
माँग सिंदूर में सजा प्यार तुमसे।।
पिया मेरा .................
जब आँखों में कजरा लगाऊँ।
जैसे नजरों में तुझको बसाऊँ।
अखियों की कजरे की धार तुमसे।।
पिया मेरा......................
जब होठों पर लाली लगाऊँ।
तेरे होठों को मुस्काता पाऊँ।
मेरे गालों पर लाली का प्यार तुमसे।।
पिया मेरा.....................
जब हाथों में मेंहदी रचाऊँ।
कलाईयों में चूड़ियाँ सजाऊँ।
मेरे कंगने में खनके गुंजार तुमसे।
पिया मेरा....................
,
जब पाँवों ने आलते लगाऊँ।
और अँगूठे में बिछुवे सजाऊँ।
मेरे पायल में गूँजे झंकार तुमसे।
पिया मेरा........................
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
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