रिमझिम रिमझिम आयी बरसात।
मीठी फुहारों की लायी सौगात।
रिमझिम-रिमझिम.................
झूम-झूमकर झूमे रे बदरिया।
काली-काली बिखरी कजरिया।
लहर-लहर लहराई ।
आसमान में छाई।
हवा के झोंके को लेकर साथ।
मीठी फुहारों की लायी सौगात।
रिमझिम-रिमझिम...............
चम-चम चमके बिजुरिया ।
कड़-कड़ कड़के बदरिया।
रूई - जैसी वह लरजे।
गड़-गड़,गड़-गड़ गरजे।
सखी -घन से कुछ करती बात।
मीठी फुहारों की लायी सौगात।
रिमझिम-रिमझिम...............
टप-टप,टप-टप टपके।
लप-लप,लप-लप लपके।
इधर-उधर कभी भटके।
और मारे सौ-सौ झटके।
धूम मचाती दिन और रात।
मीठी फुहारों की लायी सौगात
रिमझिम-रिमझिम..................
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गयी है.......http://halchalwith5links.blogspot.com/ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी सादर नमन आपको दीदीजी।मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद एवं आभार ।
ReplyDeleteवाह !सखी बहुत ही खूबसूरत सृजन 👌
ReplyDeleteहार्दिक धन्यबाद सखी।
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।
Deleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteप्रकृति का बहुत ही प्यारा वर्णन।
वर्षा ऋतु मेरी भी सबसे प्रिय ऋतु है। जब भी आती है, मन में उल्ल्लास जगा देती है।
बहुत-बहुत धन्यबाद अनन्ता बहुत।शुभकमनाएँ।
Deleteअनुप्रास अलंकार से सजी संवरी सुंदर रचना पावस की तरह मनभावन।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर
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