बंद करो व्यापार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
भारत से कारोबार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
टीक-टॉक,शेयरिंग,यू सी ब्राउजर।
हम सब खुश हैं उन्हें हटा कर।
तेरे सभी सामानों का हम,
कर रहे बहिष्कार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
तूने हम पर कर विश्वासघात।
अपने पैरों पर किए आघात।
दोस्त की खाल में दुश्मन हो,
तुम पर है धिक्कार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
तूने किया जो हमसे वैर।
लेकिन तेरा अब नहीं खैर।
भारत में निर्यात का अपने
खोये सब अधिकार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
हमें भारत का मान बढाना।
स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना।
राष्ट्र की शान बढ़ाने हेतु,
हमसब हैं तैयार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
शुरुआत हो चुकी है जंग की
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
सादर धन्यबाद
Deleteउर्जस्वित उद्बोधन!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहमें भारत का मान बढाना।
ReplyDeleteस्वदेशी वस्तुओं को अपनाना।
राष्ट्र की शान बढ़ाने हेतु,
हमसब हैं तैयार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
वाह सुजाता जी क्या खूब घुड़काया चीन को। बहुत रोचक, सरल प्यारी सी रचना 👌👌👌🌹🌹🙏🌹🌹
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी रेणु जी!
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 02 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत-बहुत धन्यबाद भाई! मेरी रचना को पाँच लिकों का आनंद में साझा करने के लिए।सादर नमन
ReplyDelete