सागर को साक्षी मान सनम।
आओ खा लें आज कसम।
अलग कभी ना होंगे हम।
साथ रहें हम जनम-जनम।
इतने बरस हम साथ रहे।
सुख-दुख को मिलकर सहे।
चाहे दुनियाँ कुछ भी कहे।
जलधारा-सा हम साथ बहे।
आँधी आए या फिर तुफान।
कोरोना आए या अम्फान।
खतरे में हो चाहे अब जान।
आपदाओं से हों परेशान।
एक-दूजे पर कर विश्वास।
एक-दूजे से लेकर आस।
एक-दूजे के रहकर पास।
साथ-साथ लें अंतिम साँस।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई!
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ReplyDeleteआँधी आए या फिर तुफान।
ReplyDeleteकोरोना आए या अम्फान।
खतरे में हो चाहे अब जान।
आपदाओं से हों परेशान।
बहुत सुंदर सुजाता जी | यही भाव हमें विपदाओं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं |