बड़े
गहरे
होते हैं
पदचिह्न,
रेगिस्तान
में उभरने वाले ।
हिम्मतवाले होते हैं
बड़े,
सुखे रेत
पर चलने वाले।
यह पदचिह्न सुबूत है
संघर्षशील लोगों का बुलंदी
पर
पहुँचने की।
रेतोंं में धसते
पावों द्वारा अदम्य
साहस ले राहें रचने की।
गहराई
तक उभरने
वाले ये पदचिह्न,
पथप्रदर्शक बन पथ
दिखाती है।और यह रेत
अपनी
छाती पर
इन सुबूतों को
दिखाता है और
चीख-चीखकर कहता है
कि
संघर्षशील
बनो, संघर्षरत रहो
और चलते चलो तब
तलक ,जब तक यह पदचिह्न,
तुम्हें लक्ष्य तक ना पहुँचाये।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
वाह! प्रेरक कविता!
ReplyDeleteजी सुक्रिया।बहुत-बहुत धन्यबाद।
ReplyDeleteजी दीदीजी सादर धन्यबाद एवं हार्दिक आभार मेरी रचना को सोमवारीय विशेषांक पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसादर धन्यबाद सखी।
Deleteबड़े
ReplyDeleteगहरे
होते हैं
पदचिह्न,
रेगिस्तान
में उभरने वाले ।
हिम्मतवाले होते हैं
बहुत खूब ,प्रेरणादायक सृजन ,सादर नमन सुजाता जी
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर नमन।
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