पुलवामा में शहीद भारत के वीर,
तुम को शत-शत बार नमन।
अश्रुपुरित हैं आँखें आज ,
चढ़ाते तुझको श्रद्धा- सुमन।
सान्त्वना तेरे माता-पिता को,
जिन्होंने अपने थे खोये लाल ।
अपने दिल पर धीरज धरकर,
कहते बेटा उन्नत कर गया भाल ।
धीरज तुम्हारे भाई-बहनों को,
सहोदर जिनको छोड़ गया।
कितनी थीं उम्मीदें उससे,
फर्ज से मुखड़ा मोड़ गया।
गहरी संवेदना उस वनिता से,
प्रीतम जिसका बिछड़ गया।
देश की रक्षा करते-करते,
प्राण गवां वह किधर गया ?
सहानुभूति है मुन्ने-मुन्नी से,
कहते थे पापा जल्दी आना।
काश्मीर के बाजार से तुम,
छोटी-सी गुड़िया लाना।
सुजाता प्रिय
प्रिय सुजाता जी कौन सी कलम हैजो हमारे वीरों की शहादत के बाद उनके स्नेहियों के दर्द को लिख सके? पर आपने कविधर्म निभाते हुये परिवार के प्रति गहरी संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना लिखी है, जिसमें मेरे या आपके
ReplyDeleteनही पूरे राष्ट्र के मन की बात लिखी है। वीर शहीदों को कोटि नमन 🙏🙏 और भगवान ना करे पुलवामा जैसी घटना की पुनरावृत्ति हो। जयहिंद, वंदे मातरम !!!! 🙏🙏🙏🙏🙏
जी सखी ।ईश्वर से यही प्रार्थना है ।
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