आ सुर मिला लें जरा,
एक नए अंदाज में।
साथ गुनगुना लें जरा,
एक सुर के राग में।
सुर को सँवार लें,
लय को निखार लें।
बेसुरे रागों को,
थोड़ा हम सुधार लें।
सुर को सजा लें जरा,
एक प्यारे अंदाज में।
साथ गुनगुना लें जरा,
एक सुर के राग में।
आ साथ मिलके हम,
छेड़े आज सरगम।
मधुर -मधुर तान दे,
तरs रs तरम पम।
दिल बहला लें जरा,
एक नए अंदाज में।
साथ गुनगुना लें जरा,
एक सुर के राग में।
मिल्लतों की रीत हो,
सबको सबसे प्रीत हो।
सबके सुरों में आज,
एकता के गीत हो।
एक लय में गा लें जरा,
एक नए अंदाज में।
साथ गुनगुना लें जरा,
एक सुर के राग में।
सुजाता प्रिय
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
३० सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हमेशा की तरह हार्दिक धन्यबाद श्वेता।सोमबारिय विशेषांक में मेरी रचना को साझा करने के लिए।नवरात्रा के शुभ अवसर पर पूरे परिवार को शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसन्देश परक गीत।
ReplyDeleteपधारें शून्य पार
बहुत-बहुत धन्यबाद भाई।
Deleteबहुत सुंदर और सार्थक रचना सखी 👌🌹
ReplyDeleteधन्यबाद और बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।
Deleteवाह!!खूबसूरती अभिव्यक्ति सखी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सप्रेम
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
ReplyDeleteआभार आपका सखी।सादर थन्यबाद।
Deleteसबके सुरों में आज,
ReplyDeleteएकता के गीत हो।
एक लय में गा लें जरा,
एक नए अंदाज में।
साथ गुनगुना लें जरा,
एक सुर के राग में।
बहुत सुंदर, सच्ची सीख देती रचना ,सादर
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।प्रेरित करने के लिए।सप्रेम आभार।
Deleteसुंदर स्नेह का संदेश देती मोहक रचना,
ReplyDeleteसुजाता जी बहुत सुंदर सृजन ।
धन्यबाद सखी।आपका सबका प्यार ही उत्साह बढ़ाता है।सप्रेम।
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