माँ तेरी तस्वीर जोड़ देंगे हम,
बलिदान के सूतों से।
जिसे काटकर अलग ले गए,
तेरे सिर-फिरे कपूतों ने
माँ सिमटे-केश तेरे,
एक दिन लहराएँगे।
तेरे हाथ का तिरंगा,।
सुदूर देश तक फहराएँगे।
उन्नत होंगे कंधे तेरे ,
जो आज हैं सिकुड़े हुए।
जुटेगी तस्वीर तेरी,
जिसके आज हैं टुकड़े हुए।
तेरी तस्वीर की अखण्डता के लिए,
हाँ माँ सच कहा ,अखण्डता के लिए,
हम बारम्बार जनम लेंगे।
तेरे सारे टुकड़े को हम,
जोड़कर ही दम लेंगे।
दुनियाँ के कैनवास पर,
सुविजय के कूचे से।
देशभक्ति का रंग घोल,
तस्वीर तेरी उकेरेंगे।
तेरे अंग- अंग में हम,
उमंग नव बिखेरेंगे।
विस्तृत होगा तेरा अंचल,
तू हाथ-पैर फैलाएगी।
देख पूरी तस्वीर अपनी,
माँ तू मुस्कुराएगी।
जय- हिन्द ,जय भारत,
दुनियाँ गुनगुनाएगी।
विशाल देश की रानी,
माँ फिर तू कहाएगी।
सुजाता प्रिय
जी नमस्ते दीदीजी सादर धन्यबाद।मेरी लिखी रचना को पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए।आभारी हूँ।
ReplyDeleteदेख पूरी तस्वीर अपनी,
ReplyDeleteमाँ तू मुस्कुराएगी।
जय- हिन्द ,जय भारत,
दुनियाँ गुनगुनाएगी।
विशाल देश की रानी,
माँ फिर तू कहाएगी।.. बहुत सुंदर और सार्थक रचना
जी नमस्ते अनुराधा बहन।उत्साहवर्धन के लिए सादर धन्यबाद।
Deleteवाह!!!बहुत खूबसूरत रचना!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।नमस्ते।
Deleteअखण्ड भारत की खूबसूरत तस्वीर यन मेन सजाती बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यबाद सखी सुधा बहन।उत्साह बर्धन के लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ।
ReplyDeleteबहुत ही कमाल और उम्दा...अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteजी धन्यबाद।आभार आपका।
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