Monday, July 8, 2019

मन मंजर

तू  फेर  नजर , अपने  अंदर,
ले  देख  मंजर ,अपने मन  का।
क्या पाप किया,क्या पुण्य किया,
है  क्या  कमाई , जीवन  का।       
मत  पाल  इसे,तू  टाल  इसे,
यह  काल  कहीं  न बन जाए।
अब  धर्म  करो, सत्कर्म करो,
सब भरम तुम्हारा मिट जाए।
रह तू घुलमिल,मानव बुजदिल,
सबके संगदिल तुम बन जाओ।
दिल में बस, तू अब हँस- हँस,
अपने दिल में सबको  लाओ।
दुःख  आते हैं, और  जाते हैं,
कभी दुःख से मत तू घबराओ।
दुःख बाट कभी,दुःख काट सभी,
कभी  न  इस से  कतराओ।
होंगे उन्मुख ,  जीवन के  सुख,
ले  काट दुःख  हल्का-फुल्का।
छोटे दुःख के, छोटे  मुख में,
छिपा है  सुख  तेरे  कल का।
कर नित्य विजय,मत कर संशय,
होकर निर्भीक  तू बढ़ता जा।
हिम्मत  तू कर, चढ़ पर्वत पर ,
तू राह  नयी  नित गढ़ता जा।
                        सुजाता प्रिय

No comments:

Post a Comment