तू फेर नजर , अपने अंदर,
ले देख मंजर ,अपने मन का।
क्या पाप किया,क्या पुण्य किया,
है क्या कमाई , जीवन का।
मत पाल इसे,तू टाल इसे,
यह काल कहीं न बन जाए।
अब धर्म करो, सत्कर्म करो,
सब भरम तुम्हारा मिट जाए।
रह तू घुलमिल,मानव बुजदिल,
सबके संगदिल तुम बन जाओ।
दिल में बस, तू अब हँस- हँस,
अपने दिल में सबको लाओ।
दुःख आते हैं, और जाते हैं,
कभी दुःख से मत तू घबराओ।
दुःख बाट कभी,दुःख काट सभी,
कभी न इस से कतराओ।
होंगे उन्मुख , जीवन के सुख,
ले काट दुःख हल्का-फुल्का।
छोटे दुःख के, छोटे मुख में,
छिपा है सुख तेरे कल का।
कर नित्य विजय,मत कर संशय,
होकर निर्भीक तू बढ़ता जा।
हिम्मत तू कर, चढ़ पर्वत पर ,
तू राह नयी नित गढ़ता जा।
सुजाता प्रिय
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