छवि
अरे तुम खुशबू हो न?
हाँ-हाँ s s s लेकिन आप कौन? मैंने आपको पहचाना नहीं? खुशबू आँखें सिकोड़कर उसे पहचानने की कोशिश करने लगी।
ओह तुमने मुझे पहचाना नहीं? मैं सुमंत हूँ। उसने अपनी आँखों काला चस्मा उतारते हुए कहा।
हम- तुम जिला स्कूल में ' साथ - साथ पढ़ते थे।' अंतिम वाक्य ' साथ- साथ पढ़ते थे' सुमंत के साथ खुशबू ने भी कहा।
अरे वाह मैं तुम्हें याद आ गया।बता कैसी हो?
ठीक हूँ।
यहीं पूणे में रहती हो?
हाँ।
मुझे पता ही नहीं था। मैं भी दो सालों से यहीं रह रहा हूँ।
यहीं नौकरी करते हो?
हाँ
वाह बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर।
कभी समय निकालकर आ न।
हाँ-हाँ जरूर आऊँगी।इनसे मिलो । ये हैं मि० चंदन! वह साथ में खड़े अपने पति की ओर इशारा करती हुई बोली।और चंदन यह है मेरा
स्कूल का सहपाठी सुमंत'
खुशबू के अधूरे वाक्य को पूरा करते हुए चंदन हँस पड़े।और बड़े गर्मजोशी से बढ़कर सुमंत से हाथ मिलाते हुए कहा- आप भी घर आया करें ! अच्छा लगेगा।
जरूर जरूर उसके बच्चे को पुचकारते हुए सुमंत ने कहा।
पास की दुकान में खड़ा नितिन अपने सहपाठियों का मिलन एवम् वार्तालाप देख - सुन रहा था ।उसने झट अपनी आँखों पर चस्मा चढ़ाते हुए हैट आगे की ओर सरका ली।उसमें कहाँ इतनी हिम्मत थी की उनका सामना कर सके।वह तो कितने सालों से यहीं रहता है।यह भी जाता है कि खुशबू यहीं रहती है।खुशबू के पड़ोसी से उसका कॉन्टैक्ट नम्बर लेकर उसे कॉल भी किया था।लेकिन खुशबू ने उसे पहचानने से साफ इंकार कर दिया था। उसने सख्त लहजे में उससे फोन करने के लिए मना किया था।कभी - कभी उसे लगता था की वह अपने परिवार के डर से उससे बात नहीं करना चाहती।लेकिन सुमंत से मिलने औरउससे बात- चीत करने के अंदाज से तो ऐसा लगता है कि उसके पति बड़े ही सुलझे हुए और समझदार विचार के स्वामि हैं।तभी तो सुमंत को अपने घर बुला रहे हैं।पर मुझे तो खुशबू ने ही पहचानने से मना कर दिया ।इसका एकमात्र कारण उसके द्वारा लड़कियों को छेड़- छाड़ करना ही हो सकता है।यह बात सच है कि जबतक वे स्कूल में अध्ययनरत रहे,सभी लड़के- लड़कियों में आपसी संबंध काफी मधुर रहे।उनके विद्यालय में लड़के-लड़कियों में आपस में बात- चीत करने पर कोई पाबंदी नहीं थी। छोटी कक्षा से ही विद्यालय में उन्हें ऐसे संस्कार दिए गए थे कि तुम लोग आपस में भाई- बहन की तरह हो ।इसलिए एक- दूसरे का मान- सम्मान और सुरक्षा का दायित्व भी तुम सबों पर ही है।और सचमुच वे अपने दायित्व का निर्वहन भी भली- प्रकार करते थे।लेकिन जब वे कॉलेज में अध्ययन करने पहुँचे तो वहाँ का माहौल देख,कुछ मनचले किस्म के लड़के बहक गए।उस बहकने का ही दुष्परिणाम था कि एक बार खुशबू अपनी सहेलियों के साथ कहीं जा रही थी तो नितिन अपने दोस्तों के साथ वहाँ मिल गया।खुशबू ने उससे उसका हाल- समाचार पूछा , लेकिन उसके आवारा दोस्त खुशबू पर अश्लील फब्तियाँ कसने लगे ।खुशबू ने बचाव के लिए नितिन की ओर देखा।लेकिन नितिन तो ऐसी हरक्कतों का आदि हो चुका था। वह अपने दोस्तों की हरकतों पर मुस्कुराता रहा।उस घटना के बाद नितिन जब भी खुशबू से मिलता उसे देख कर व्यंग्य से हँसता और खुशबू तिलमिलाकर उससे किनारा कर लेती।
अभी-अभी खुशबू को सुमंत से खुलकर बात- चीत करते देख उसे आभास हो रहा था कि खुशबू को किसी लड़के से बात-चीत करने और मिलने में न तो कोई झिझक है न कोई पाबंदी।
उसे खुशबू के साथ किए गए अपने व्यवहार पर बड़ी ग्लानि हो रही थी ।वह पाश्चाताप की अग्नि में जलने लगा।काश वह अपने विद्यालय और परिवार में दी गई शिक्षा के अनुसार स्त्रियों का सम्मान करना सीखा होता तो आज खुशबू या अन्य लड़कियों की नजरों में उसकी छवि इतनी बदनुमा नहीं होती।ना जाने कितनी जान- पहचान की लड़कियाँ मिलेगी जीवन में जो खुशबू की ही तरह उसका तिरस्कार करेगी।यदि वह लड़कियों के साथ अच्छा व्यवहार किया होता तो इतने बड़े और घर- परिवार से दूर शहर में अपना कहनेे वाला एक खुशबू का परिवार होता ।
अब तो उसे सुमंत से भी मिलने में संकोच लग रहा था कहीं खुशबू उसे सारी बातें बता न दे क्या सोचेगा सुमंत मेरे बारे में ? कैसी होगी उसकी नजरों में मेरी छवि?
सुजाता प्रिय
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